आप पूरी तरह स्वस्थ है, पुरुष है और अगर आप समझते है की आपका शुक्राणु हमेशा वीर्य सेचन की स्थिति मे होगा तो आप भूल कर रहे हैं। क्योंकि शुक्राणु की गुणवत्ता हमेशा ऊपर नीचे होती रहती हैं। और ये सिर्फ व्यक्ति के जीवन के दौरान नहीं होता। ये पशुओं मे भी इसी तरह से होता हैं। हालांकि ज्यादातर मर्द आमतौर पर जीवन भर शुक्राणुओं का उत्पादन करते है।
लेकिन सालदर साल, हर साल 0.7% की दर से अत्यंत गतिशील शुक्राणुओं की तादात धीरे-धीरे घटती जाती हैं। ।
साल का अलग अलग समय भी शुक्राणुओं के उत्पादन को प्रभावित करता है। इंसानों मे सबसे ज्यादा शुक्राणु वसंत ऋतु में और सबसे कम गर्मियों मे पाए जाते है। और यही रुझान पशुओं की दुनिया मे दिखाई देता है।
दिलचस्प बात ये है की कई सर्वे द्वारा जिन लोगों की जांच की गई उनके साल भर में शुक्राणुओं की संख्या का उतार चढ़ाव इतना ज्यादा नहीं था की उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो। मतलब वो आसानी से प्रजनन कर सकते थे, लेकिन ऐसा सभी के साथ नहीं होता। हम में से कई लोगों की प्रजनन क्षमता सिर्फ शुक्राणुओ के उतार चढ़ाव की वजह से प्रभावित हो जाती है।
संतुलित आहार शुक्राणुओं की गुणवत्ता के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।ZINC, VITAMIN C, VITAMIN A, OMEGA 3, जैसे कई शुक्राणु की गतिशीलता को बढ़ाते है।
ये सारे मटीरीअल अंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते है। वे अंडकोश मे जलन ओर सूजन को कम करते है। जलन और सूजन कम होने की वजह से शुक्राणुओं का उत्पादन भी बढ़ता हैं। यही पर शुक्राणुओं की भागदौड़ शुरू होती हैं। और प्रजनन के लिए तैयार होते हैं।
शुक्राणुओं के लिए सबसे अच्छा आहार है समुंदरी मछलियाँ, साबुत अनाज से बने उत्पाद और फल तथा सब्जियां इत्यादि होते है। अगर सही रूप में इन आहारों का सेवन किया जाए तो शुक्राणुओं मे उतार चढ़ाव कम होता है। वो स्थिर रहते है।
शुक्राणुओं की गुणवत्ता अच्छी हो इसके लिए खेलकुद, व्यायाम बहुत फायदेमंद होता हैं। इस से टेस्टोरोन का स्तर बढ़ता है। और उसके साथ शुक्राणुओं का उत्पादन भी बढ़ता हैं। लेकिन एक बात ये भी है की बहुत ज्यादा खेलकुद करने वाले खिलाड़ियों मे शुक्राणुओं का उत्पादन कम होता जाता है।
सबसे नुकसानदेह होता मसल्स बनाने के लिए अवेध दवाओं का सेवन करना। उस से शुक्राणुओं बहुत ज्यादा नुकसान होता हैं। कई बार प्रजनन करने की क्षमता पूरी तरह से खत्म हो जाती है।
शुक्राणुओं पर तापमान का भी असर होता है। उन्हे ठंड पसंद है। ठंडे मौसम मे रहने से शुक्राणुओं की तादात अच्छी रहती हैं।
अंडकोश शरीर के बाहर होते है। इसलिए वे शरीर के अंदरूनी हिस्से के मुकाबले 3 डिग्री ठंडे होते है।
कार की हीटिड सीटों से, गोद मे लैपटॉप से, गरम पानी के स्नान या सोना जाने से शुक्राणुओ को नुकसान का डर रहता है। इसकी पुष्टि अभी की जा रही है।
क्योंकि दिलचस्प बात ये है कि सबसे ज्यादा सोना में जाने वाली फ़िनलेंड की आबादी लुप्त तो नहीं हो रही हैं।
पैंट की जेब मे फोन रखना शुक्राणुओं के लिए नुकसानदेह हो सकता है लेकिन इसकी भी अभी पूरी तरह से पुष्टि नहीं हुई है।
लेकिन इस बात की पुष्टि हो चुकी है की संभोग शुक्राणुओं के लिए बहुत अच्छा है। नियमित वीर्यपात शुक्राणुओं की उर्वरता बढ़ाता है। आप नियमित रूप से संभोग कर रहे हैं या वीर्यपात कर रहे हैं तो आपके शुक्राणुओं की गुणवत्ता अच्छी बनी रहेगी।
शुक्राणुओं की अच्छी गुणवत्ता के लिए आप आयुर्वेदिक दवाएं भी ले सकते है। जो की शुक्राणुओं की गुणवत्ता के लिए एक बेहतरीन ओर अचूक उपाय होता है।
शुक्राणुओं की अच्छी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए या फिर जिनकी शुक्राणुओं की गुणवत्ता खराब हो चुकी है वो हमसे शुद्ध औषधि से बनी हुई दवाई ले सकते है। जिसके असर से आपके वीर्य में शुक्राणुओं की गुणवत्ता स्थायी रूप से बनी रहेगी। जिस से प्रजनन करने के लिए कभी कोई परेशानी नहीं होगी।
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1 Comments
स्पर्म के बारे मे इतना सब कुछ पहले नहीं पता था।
ReplyDeleteउम्दा जानकारी।
thank you.